Published in the Saturday Navbharat Times on 11 May, 2024
क्याआपने कभी सोचा है कि एक ऐसा खूबसूरत देश, जो हरियाली से घिरा है, उसे आइसलैंड क्यों कहा जाता है? और 17 लाख वर्ग कि.मी. के दुनिया के दूसरी सबसे बड़े आईसकैप वाले देश को ग्रीनलैंड कैसे कहा जा सकता है? मैं सच में सोचने लगी कि इन दोनों देशों को ऐसे नाम भले कैसे दिए गए होंगे?
ग्रीनलैंड क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप और डेनमार्क के क्षेत्र में बसा एक स्वायत्त देश है। यहाँ का अधिकांश भाग आइस, स्नो और ग्लेशियरों से ढका हुआ होने के कारण, इस आर्कटिक देश का अधिकांश हिस्सा सफेद रंग का है। इस देश का नाम वास्तव में एक आइसलैंडिक हत्यारे ‘एरिक द रेड’ के नाम पर पड़ा, जिसे इस द्वीप पर निर्वासित कर दिया गया था। उन्होंने इसे ‘ग्रीनलैंड’ इस उम्मीद में कहा, कि इस नाम के कारण दूसरी जगहों के लोग यहाँ बसने के लिए आकर्षित होंगे। ग्रीनलैंड में गर्मी के कुछ महीनों में कुछ ही इलाके हरे-भरे होते हैं, जबकि यहाँ साल के अधिकतर समय बर्फ और हिमपात का ही राज रहता है। इसलिए ग्रीनलैंड अपने नाम के उलट बिल्कुल हरा-भरा नहीं है। यह यहाँ बसने वालों को आकर्षित करने के लिए सदियों पहले अपनाई गई एक मार्केटिंग स्ट्रेटेजी थी!
अब अगर हम आइसलैंड की ऐतिहासिक गाथाओं या आख्यानों पर नज़र डालें तो हम पाएँगे कि उनके अनुसार इसका नाम एक खोजकर्ता ‘ह्राफना-फ्लोकी विल्गरडार्सन’ द्वारा रखा गया था, जिन्होंने 9वीं शताब्दी में इस द्वीप की यात्रा की थी। आइसलैंड की यात्रा करते समय रास्ते में उनकी बेटी डूब गई थी और फिर उनके मवेशी भी भूख से मर गए थे। इन गाथाओं में कहा गया है कि इन हालातों में निराश फ्लोकी एक पहाड़ पर चढ़ गए और वहाँ से उन्हें हिमखंडों से भरा एक फियोर्ड दिखाई दिया, जिसके कारण उन्होंने इस द्वीप को आइसलैंड नाम दिया। हालाँकि, यह भी कहा जाता है कि इस देश को आइसलैंड नाम इसलिए दिया गया था, ताकि दूसरे लोग वहाँ ना बसें और उनके बीच संसाधनों को लेकर कोई प्रतिस्पर्धा ना हो। इस तरह से यह एक दिलचस्प रणनीतिक योजना लगती है, लेकिन अब इस विचार को बस एक धारणा ही माना जाता है!
इतना सुदूर देश होने के बावजूद ऐसा माना जाता है कि ग्रीनलैंड में मनुष्य 4500 साल से अधिक समय से निवास कर रहे हैं और यहाँ उनकी कई बस्तियाँ रही हैं। 'इनुइट्स' या जिन्हें हम 'एस्किमोज़' भी कहते हैं, वे सदियों से ग्रीनलैंड को अपना घर कहते रहे हैं। हालाँकि यहाँ बस्तियों को जोड़ने के लिए कोई सड़क नहीं बनाई गई है और अधिकांश यात्रा हवाई मार्ग से या नावों के द्वारा ही की जाती है। यह आश्चर्य की बात नहीं है कि ग्रीनलैंड की यात्रा करने का सबसे अच्छा तरीका क्रूज है। यही बात ध्यान में रखते हुए, वीणा वर्ल्ड में हमने ग्रीनलैंड और आइसलैंड के लिए अपनी नई क्रूज़ टूर भी शुरू की है, जो इस अगस्त में ही रवाना हो रही है। आप भी इस असाधारण यात्रा में हमारे साथ शामिल हो सकते हैं और ग्रीनलैंड के बर्फीले पानी और आइसलैंड के हरे-भरे नज़ारों को देख सकते हैं और उन्हें महसूस कर सकते हैं।
देशों के नामकरण में जो विचित्रताएँ और विडंबनाएँ होती हैं, उन्हें देखकर हम दंग रह जाते हैं। हम सोच में पड़ जाते हैं कि वास्तव में देशों के नाम आखिर रखे कैसे गए होंगे। कई बार हमारे मन में ये सवाल भी आती है कि हमारे अपने देश का नाम आखिर कैसे पड़ा होगा? और दुनिया के अन्य देशों, जैसे इंग्लैंड, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के नाम कैसे रखे गए होंगे? अलग-अलग देशों के नाम रखने के आधार भी अलग-अलग हो सकते हैं. ये आधार ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक और राजनीतिक हो सकते हैं।
किसी जगह का नाम रखने का सबसे लोकप्रिय तरीका वहां रहने वाली जनजातियों या नेतृत्वकर्ताओं या राजवंशों पर आधारित होता है। इसलिए फ्रांस का नाम फ्रैंक्स के नाम पर रखा गया है, सऊदी अरब का नाम अल- सऊद राजवंश के शासक घराने के नाम पर रखा गया है, जबकि कोलंबिया का नाम क्रिस्टोफर कोलंबस के नाम पर रखा गया है। थाईलैंड का नाम वहां रहने वाले ‘ताई’ लोगों के नाम पर और वियतनाम का नाम वियत लोगों के नाम पर रखा गया है। इंग्लैंड के नाम की उत्पत्ति बहुत पहले हुई थी. यह नाम पुरातन अंग्रेजी के शब्द “इंग्लालैंड” से आया है, जिसका अर्थ है “लैंड ऑफ द अँगलेस”। अँगलेस जर्मन जनजातियों में से एक थे, जो सॅकसन्स और जूट्स के साथ प्रारंभिक मध्य युग के दौरान ब्रिटेन चले आए थे।
कुछ मामले तो ऐसे भी हैं, जिनमें जगहों के नाम अपने आप में गहरे अर्थ रखते हैं और ये वहां के लोगों के मूल्यों और उनकी आस्थाओं को दर्शाते हैं। उदाहरण के लिए, ‘जापान’ नाम ‘निप्पॉन’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘सूर्य की उत्पत्ति’, जो प्रकृति और जीवन के स्रोत के रूप में सूर्य के प्रति इस देश की श्रद्धा को प्रकट करता है। इस मामले में मेरा पसंदीदा नाम है ‘आओतेआरोआ’, जो कि न्यूज़ीलैंड का माओरी नाम है. इसका मतलब है ‘लंबे सफेद बादल की भूमि’। यह स्वदेशी माओरी लोगों के लिए महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है, जो इन द्वीपों पर यूरोपीय लोगों के आने से बहुत पहले से निवास करते थे। डच खोजकर्ता एबेल टस्मान पहले ऐसे यूरोपियन थे, जिन्होंने सन 1642 में न्यूज़ीलैंड को देखा। उन्होंने शुरुआत में डच ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम पर इसका नाम “स्टाटेन लैंड” (राज्यों की भूमि) रखा था। आगे चलकर डच मानचित्रकारों ने इसका नाम बदलकर लैटिन में “नोवा जीलैंडिया” (न्यूजीलैंड) रख दिया। हालाँकि, ब्रिटिश खोजकर्ता जेम्स कुक ने 18वीं शताब्दी के अंत में अपनी यात्राओं के दौरान इस देश को अंग्रेज़ी में “न्यूज़ीलैंड” कहा गया, जो बहुत लोकप्रिय हुआ।
अनेक देशों के नाम अक्सर उनके इलाकों की महत्वपूर्ण भौगोलिक खासियतों से प्रभावित होते हैं, जैसे वहाँ की प्रमुख नदियाँ, ऊँचे पहाड़, विशाल मैदान, विशाल रेगिस्तान या कुछ खास तरह की तटरेखाएँ। बाइबिल के इतिहास में समाई भूमि जॉर्डन का नाम प्रतिष्ठित जॉर्डन नदी से लिया गया है, जो विश्वास और मुक्ति का प्रतीक है। इसी तरह नाइज़र नदी, जो पश्चिम अफ्रीका के बीच से होकर बहती है, से ही नाइज़र और नाइज़ीरिया, दोनों का नाम पड़ा है, जिससे इन देशों की जीवन शक्ति और समृद्धि की गूँज सुनाई देती है। इसी तरह से दक्षिण अमेरिका में मौजूद अर्जेंटीना के नाम में उसके अतीत के स्वर सुनाई देते हैं।अर्जेंटीना शब्द की उत्पत्ति लैटिन शब्द ‘अर्जेंटम’ से हुई है, जिसका मतलब है ‘चांदी’। यह उस समय की याद दिलाता है, जब स्पेनिश खोजकर्ता वहाँ की नदी ‘रियो डे ला प्लाटा’, जिसे ‘रिवर ऑफ सिल्वर’ भी कहा जाता है, के चमकते हुए पानी को देखकर दंग रह गए थे। अपनी अनकही संपदा और अपने अदम्य सौंदर्य वाले इसके इन्हीं मोहक नज़ारों से आज भी दुनियाभर के यात्री यहाँ खिंचे चले आते हैं।
कुछ जगहों या देशों के नाम सुनकर तो मैं आज भी अभिभूत सी हो जाती हूँ। नामों की व्युत्पत्ति खोजने की मेरी कवायदों में मेरे सामने आया ‘बुर्किना फासो’। ‘बुर्किना फासो’ नाम का मतलब होता है ‘ईमानदार लोगों की भूमि’ या ‘सत्यनिष्ठ व्यक्तियों का इलाका’।
अब हम बात करते हैं हमारे अपने देश की। वास्तव में ‘भारत’ हमारे देश के आधिकारिक एवं गौरवशाली नामों में से एक है, जैसा कि इसके संविधान के अनुच्छेद 1 में निहित है। संस्कृत ग्रंथों और पौराणिक कथाओं में निहित यह नाम महाभारत महाकाव्य के महान सम्राट भरत को अपनी आदरांजलि देता है। इस तरह से ‘इंडिया’ शब्द की उत्पत्ति प्राचीन ग्रीक और लैटिन लिखावट से मानी जाती है, जो मूल रूप से सिंधु नदी के आसपास के क्षेत्र को दर्शाती है।
दुनिया के हर देश, हर जगह की अपनी अनूठी कहानी और अपना आकर्षण होता है। हम हमेशा आमंत्रित रहते हैं इन देशों, इन जगहों को उनके नामों से परे देखने और विविधताओं से भरी हमारी इस दुनिया की खूबसूरती में डूबने के लिए। तो देर किस बात की? चलो, बैग भरो, निकल पड़ो!
Post your Comment
Please let us know your thoughts on this story by leaving a comment.