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सेलिब्रेटिंग लाईफ अराउंड द वर्ल्ड

11 mins. read

Published in the Sunday Navbharat Times on 11 August, 2024

कल मैं अपने एक दोस्त के घर पर एक हाउस पार्टी में गई थी जब हम पार्टी के लिए अपने घर से निकल रहे थे तो मेरी बेटी सारा ने बताया कि उसे इंडियन और एशियन कल्चर अच्छा लगता है, क्योंकि हमारे यहाँ इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कौन से जूते पहन रहे हैं, क्योंकि हमें तो उनको वैसे भी घर के बाहर ही उतारना होता है अगर हम पार्टी में जाते हैं, तब भी हमें घर जैसा ही महसूस होता है! उसकी बात से मुझे लगा कि घर में प्रवेश करते समय अपने जूते बाहर उतारने का काम हम कितने स्वाभाविक तरीके से करते हैं इस तरह की परिपाटी से केवल हमारा घर साफ रहता है, बल्कि हमारा घर एक वेलकमिंग स्पेस भी बन जाता है, जिससे हमें किसी और के घर पर भी अपने ही घर जैसा महसूस होता है वैसे तो यह कॉन्सेप्ट पश्चिमी देशों में ज़्यादातर लोगों के लिए बाहर का माना जाता है, पर जब मैं दुनिया के सबसे उत्तरी शहर स्वालबार्ड गई तो मुझे यह देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि वहाँ के होटलों और रेस्तरां में इस परंपरा का पालन किया जा रहा है वहाँ आगंतुकों को आरामदायक फ़्लीस-लाइन्ड स्लीपरें दी जाती हैं, ताकि वे अपने जूते बाहर छोड़ सकें इस प्रथा का जन्म कोल माइनिंग इंडस्ट्री से हुआ था, जिसने पूरे शहर को एक खुशनुमा, घर जैसी अनुभूति प्रदान की 

जब हम अपने दोस्त के घर पहुँचे और अपने जूते दरवाज़े पर ही उतार दिए और मेरे मन में एक मज़ाकिया ख्याल आया कि `चलो, यह भी अच्छा है, अब कम से कम वे हमसे मिलते समय अपनी नाक हमारी नाक से तो नहीं रगड़ेंगे!‌’ यह विचार मुझे न्यूज़ीलैंड की मेरी पहली यात्रा की याद दिलाता है, जहाँ मैंने पहली बार वहाँ के पारंपरिक माओरी अभिवादन `होंगी‌’ को देखा था होंगी में एक व्यक्ति अपनी नाक और माथे को दूसरे व्यक्ति के माथे से दबाता है और इसे हमारी सांस और जीवन शक्ति को साझा करने का प्रतीक माना जाता है यह एक होने और एक दूसरे का सम्मान करने, समुदाय में स्वागत किए जाने और आपको अपने जैसे ही व्यक्ति के रूप में स्वीकार करने की भावना की एक सशक्त अभिव्यक्ति है इस प्रकार के संबंध से मानवीय संपर्क के महत्व और एक दूसरे को स्वीकार किए जाने की हमारी युनिवर्सल ज़रूरत सामने आती है वीणा वर्ल्ड के न्यूज़ीलैंड टूर पर हमारे मेहमानों को रोटोरुआ में दक्षिणी द्वीप की अद्भुत कुदरती खूबसूरती के साथ-साथ अक्सर इस सांस्कृतिक संपर्क का एक असाधारण अनुभव मिलता है 

किसी भी यात्रा का मतलब केवल नई जगहों पर जाना ही नहीं होता है, बल्कि इसके मायने यह भी होते हैं कि हम अपने आप को विविधताओं से भरी मानव संस्कृतियों के सागर में डुबो दें किसी भी यात्रा का एक सबसे अद्भुत और आकर्षक पहलू यह होता है कि इसमें हम हर गंतव्य को परिभाषित करने वाले अनूठे रीति-रिवाजों और परंपराओं से रूबरू होते हैं इन्हीं परंपराओं में हमें किसी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है और हम उसके मूल्यों, आस्थाओं और इतिहास के दर्शन कर पाते हैं तो आज आइए हम ऐसे कुछ सबसे आकर्षक रीति- रिवाजों और परंपराओं के बारे में जानें, जिनसे हमारी यात्राएँ हमें इतने यादगार और मज़ेदार अनुभव देती हैं 

यात्रा करने का एक सबसे बड़ा आनंद यही है कि इसमें हम लोगों से मिलते हैं और उनके बारे में और बेहतर ढंग से जानते हैं, और मेरे लिए यह सब करने का सबसे अच्छा तरीका है उनके साथ बैठकर एक कप गर्म चाय या कॉफी पीना फिर चाहे हम अपने लोकल दोस्तों के साथ हों, या फिर कॉफी शॉप में अकेले बैठे हों अगर हम यह देखें कि स्थानीय लोग अपनी चाय या कॉफी कैसे पीते हैं, तो इससे हमें काफ़ी कुछ जानकारी मिल सकती है और हम वहाँ की स्थानीय संस्कृति और परंपराओं की एक झलक देख सकते हैं हम सबने जापानी टी सेरेमनी, या `चानोयू‌’ के बारे में तो सुना ही होगा, जो वहाँ की सांस्कृतिक समृद्धि का एक बेहतरीन उदाहरण है इस जापानी परंपरा में एक शांत, ध्यानपूर्ण वातावरण में बड़े सलीके और सावधानी से ‌‘माचा‌’ को तैयार करना और परोसना शामिल है, जो सद्भाव, सम्मान, शुद्धता और शांति पर केंद्रित होता है इस मौके पर हर मूवमेंट और गैश्चर वर्तमान क्षण के प्रति जागरूकता और प्रशंसा को दर्शाता है, जिससे शांति और संबंध की भावना प्रबल होती है माचा टी एक एक्वायर्ड टेस्ट है, लेकिन मैंने देखा है कि ज्यादातर लोगों को मिंट टी कहीं ज़्यादा स्वादिष्ट लगती है 

दुनिया भर में चाय और कॉफी की इतनी अलग-अलग और अनूठी परंपराएँ हैं कि इस बारे में अलग से एक पूरा आर्टिकल लिखा जा सकता है, लेकिन आज हम इथियोपिया की कॉफी सेरेमनी के बारे में बात किए बगैर नहीं रह सकते, क्योंकि यह बहुत ही खास है इथियोपिया में कॉफी केवल एक पेय पदार्थ ही नहीं, बल्कि उससे कहीं बढ़कर है यह वहाँ के सामाजिक जीवन का एक खास हिस्सा है वहाँ परिवार और समुदाय के लोग एकत्रित होकर ताज़ी बनी कॉफी की चुस्कियाँ लेते हुए अपने आपसी संबंध मज़बूत बनाते हैं, एक दूसरे के हाल-चाल और खबरें जानते हैं, स्थानीय घटनाओं पर बातचीत करते हैं और जानकारियों का आदान-प्रदान करते हैं इस सेरेमनी में कई दिलचस्प और खास कदम होते हैं: कॉफी बीन्स को धोना शुद्धिकरण का प्रतीक है; बीन्स को भूनना बदलाव और इंद्रियों को जागृत करना बताता है; बीन्स को पीसने में मेहनत और देखभाल की झलक होती है, जबकि जेबेना नामक एक विशेष बर्तन में कॉफी बनाना धैर्य और परंपरा को बयां करता है इसी के साथ तीन राउंड (अबोल, टोना और बाराका) में कॉफी परोसने में हॉस्पिटलिटी और कम्युनिटी का अक्स मिलता है आधुनिकीकरण होने के बावजूद, यह सेरेमनी आज भी घरों और कॉफी की दुकानों, दोनों ही जगहों पर एक सशक्त और पोषित परंपरा बनी हुई है 

अफ्रीका में मुझे केन्या और तंजानिया के मसाई लोगों की जीवंत संस्कृति की झलक देखने का मौका मिला है उनकी सबसे खास परंपराओं में से एक है `अदुमु‌’ या जंपिंग डांस वहाँ के युवा योद्धा, जिन्हें `मोरन‌’ भी कहा जाता है, लयबद्ध गीत दोहराते हुए वर्टिकल जंप लगाते हैं यह डांस उनके शारीरिक कौशल का प्रदर्शन तो होता ही है, साथ ही इसके माध्यम से वे अपने संभावित साथी को आकर्षित करने का प्रयास भी करते हैं जो युवा सबसे ऊंची जंप लगाता है, वो अक्सर अपने साथी को रिझाने में कामयाब हो जाता है! 

इस अनोखी मॅचमेकिंग सेरेमनी से मुझे ग्रीस में अपने एक दोस्त की शादी में हुआ मज़ेदार वाकया याद गया सेरेमनी के बाद हमें प्लेटें तोड़ने के लिए दी गईं, जबकि सभी लोग हमारे आसपास डांस कर रहे थे ग्रीस में प्लेटें तोड़ना उत्सव, खुशी और दबी हुई भावनाओं को बाहर निकालने का एक प्रतीक है अक्सर शादियों और पार्टियों में प्लेेटें तोड़ने के दिलचस्प रिवाज के साथ जीवंत संगीत और नृत्य भी होता है, और ऐसा माना जाता है कि इससे बुरी आत्माएं दूर रहती हैं और हमारा सौभाग्य जागृत होता है यह परंपरा हमें याद दिलाती है कि हमें जीवन का भरपूर आनंद लेना चाहिए 

स्पेन एक ऐसा देश है जहाँ ज़िंदगी की खुशियाँ मनाने से संबंधित अनेक परंपराएँ हैं और यहाँ का छोटा सा शहर बुन्योल हर साल मनाए जाने वाले ला टोमाटीना फेस्टिवल को होस्ट करता है, जहाँ लोग सड़कों पर एक दूसरे पर पके हुए टमाटर फेंकते हैं और हमें टमाटर की एक दिलचस्प जंग देखने को मिलती है यह अनोखी परंपरा 20वीं सदी के मध्य में शुरू हुई थी और अब यह एक पॉपुलर ईवेन्ट बन गया है, जिसमें शामिल होने के लिए हर साल हज़ारों मेहमान यहाँ खिंचे चले आते हैं ला टोमाटीना मौज-मस्ती और सहजता का एक मज़ेदार उत्सव है, जो यह साबित करता है कि कभी-कभी कुछ साधारण और सरल चीज़ें भी हमें बड़ी खुशी देती हैं 

परंपराएँ अक्सर छोटे-छोटे रिचुअल्स के रूप में शुरू होती हैं, लेकिन उनसे जो आनंद मिलता है, उससे वे कालजयी परिपाटियाँ बन जाती हैं, जिन्हें पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ाया जाता है, ताकि वे भी इनका आनंद ले सकें और इन्हें संजोकर रख सकें भारत में हमारे पास विविध प्रकार की ढेरों प्रथाएँ और परंपराएँ हैं इनमें से कुछ हमें एक दूसरे से पूरी तरह से अलग लग सकती हैं, पर फिर भी वह अक्सर एक ऐसा धागा होता है, जो हम सभी को एकसूत्र में बांधकर रखता है 

दुनिया को देखने और घूमने से हमें पता चलता है कि हर संस्कृति में मौजूद प्रथाएँ और परंपराएँ एक अलग कहानी कहती है, जो उनके मूल्यों, उनकी आस्थाओं और इतिहास के बारे में हमें अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं दुनिया के अलग-अलग हिस्सों की यात्रा करने और इन अनोखे रीति-रिवाजों और परिपाटियों का अनुभव लेने से हमारा दिल और दिमाग मानव जाति की अविश्वसनीय विविधता को जानने अपनाने के लिए खुल जाता है तो फिर देर किस बात की, अपना बॅग पॅक करें, सफर पर निकलें और मुझे बताएं कि आप अपने अगले एडवेंचर में किस अनोखे ट्रेडिशन या रिचुअल का अनुभव लेना चाहेंगे  

सुनिला पाटील, वीणा पाटील और नील पाटील इनके हर हफ्ते प्रकाशित होनेवाले लेख वीणा वर्ल्ड की वेबसाईट www.veenaworld.com पर पढ़ने के लिए उपलब्ध हैं 

August 10, 2024

Author

Sunila Patil
Sunila Patil

Sunila Patil, the founder and Chief Product Officer at Veena World, holds a master's degree in physiotherapy. She proudly served as India's first and only Aussie Specialist Ambassador, bringing her extensive expertise to the realm of travel. With a remarkable journey, she has explored all seven continents, including Antarctica, spanning over 80 countries. Here's sharing the best moments from her extensive travels. Through her insightful writing, she gives readers a fascinating look into her experiences.

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